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दुनियाभर में CO2 उत्सर्जन ने बढ़ाई चिंता, चीन और अमेरिका सबसे ज्यादा जिम्मेदार

दुनिया के आधे से भी अधिक CO2 उत्सर्जन के जिम्मेदार विकसित देश चीन, अमेरिका और यूरोपीय संघ हैं। चीन में कार्बन उत्सर्जन 31 प्रतिशत, अमेरिका में 14 प्रतिशत, यूरोपियन संघ में 8 प्रतिशत है।
By: MGB Desk
| 12 Nov, 2022 2:36 pm

खास बातें
  • चीन-अमेरिका में सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन
  • इस साल की स्टडी ने बढ़ाई वैज्ञानिकों की चिंता
  • कार्बन उत्सर्जन में कोविड-19 महामारी और युद्ध का असर

दुनियाभर में पर्यावरण के लिए कार्बन उत्सर्जन (CO2) एक चिंता का विषय बना हुआ है। कार्बन उत्सर्जन बढ़ने का कारण है, ईंधन को अधिक मात्रा ने जलना, ईंधन का जितना ज्यादा खपत होगा। उतना ही ज्यादा कार्बन उत्सर्जन तेजी से होगा। वैज्ञानिकों की एक नई रिसर्च स्टडी सामने आई है कि दुनिया में पिछले साल की तुलना में इस साल कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस के जलने से हवा में कार्बन डाइऑक्साइड की 1% प्रतिशत ऊपर पहुंचा। जलवायु में परिवर्तन के खिलाफ इस जारी लड़ाई में यह एक बुरी खबर है। 

मिस्र में हुए अंतरराष्ट्रीय जलवायु वार्ता में शुक्रवार की सुबह जारी ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट के वैज्ञानिकों की स्टडी रिपोर्ट के अनुसार इस साल चीन का कार्बन प्रदूषण कम हुआ है, वहीं अमेरिका में बढ़ा है। वैसे तो इस साल से पहले तक अमेरिकी की कार्बन उत्सर्जन में गिरावट आ रही थी और चीनी की कार्बन उत्सर्जन दिन प्रतिदिन बढ़ रहा था। वैज्ञानिको ने यह भी कहा कि चीन में इस साल कार्बन उत्सर्जन में कमी आने का  मुख्य कारण 2022 में कोविड-19 पर नियंत्रण यानि लॉकडाउन को भी बताया जा रहा है। 

कोविड-19 महामारी और युद्ध का असर
एक्सेटर विश्वविद्यालय के मुख्य अध्ययनकर्ता पियरे फ्राइडलिंगस्टीन ने कहा है कि दोनों ही मामलों में यह महामारी की प्रतिक्रिया है। इसके साथ ही उन्होंने थोड़ा असर यूक्रेन और रूस के युद्ध से पैदा हुए इस ऊर्जा संकट को भी बताया है। अध्ययनकर्ता का कहा है कि ये दोनों कारणों से इस साल की रिपोर्ट को कठिन बना रहा हैं और इस रिपोर्ट में किसी भी तरह के रुझान का अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है।

चीन-अमेरिका में सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन
दुनिया के आधे से अधिक CO2 उत्सर्जन के डिम्मेदार है चीन, अमेरिका और यूरोपीय संघ। चीन में कार्बन उत्सर्जन 31 प्रतिशत, अमेरिका में 14 प्रतिशत,और यूरोपीय संघ में 8 प्रतिशत है। एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक CO2 उत्सर्जन में भारत का 7 प्रतिशत ही योगदान है।

चीन और यूरोपीय संघ में कार्बन उत्सर्जन में इस साल कमी आई है। इस साल की संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन में पेश किए गए वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार, चीन में कार्बन उत्सर्जन में 0.9 प्रतिशत और यूरोपीय संघ में 0.8 प्रतिशत की कमी का अनुमान लगाया गया है, लेकिन अमेरिका में 1.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं भारत में (6 प्रतिशत) और शेष विश्व (1.7 प्रतिशत) में बढ़ोतरी हुई है। 2022 में भारत में उत्सर्जन में हुई 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी के पीछे कोयला मुख्य कारण है। 

इस साल की स्टडी ने बढ़ाई वैज्ञानिकों की चिंता
वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले समय में हम एक ऐसी दुनिया का अनुभव कर सकते हैं, जिसका पहले कभी नहीं किया हो। इस स्टडी के अनुसार, वैश्विक स्तर पर कार्बन प्रदूषण अब भी बढ़ रहा है, अगर वास्तव में 9 साल में तापमान सोच से ज्यादा बढ़ गया तो ग्लेशियर तेजी से पिघलेंगे। प्रकृति का संतुलन ही बिगड़ जाएगा।  समुद्र का स्तर तेजी से ऊपर उठेगा, तो पृथ्वी के कई हिस्से समुद्र में समा जाएंगे। इस से करोड़ों लोग प्रभावित होंगे। पारिस्थितिक तंत्र के प्रभाव से बड़े पैमाने पर मानव जाति समाप्त हो सकती है। पृथ्वी के वैश्विक सतह के तापमान में पूर्व-औद्योगिक (1850-1900) स्तरों से लगभग 1.1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है, और दुनिया भर में इस वृद्धि का रिकॉर्ड सूखे, जंगल की आग और पाकिस्तान में विनाशकारी बाढ़ को जिम्मेदार ठहराया गया है।

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