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राजस्थान की शान और पहचान जैसलमेर का प्रसिद्ध किले । यह एक सुंदर नमूना है !

राजस्थान के जैसलमेर के प्रमुख ऐतिहासिक स्मारकों में सर्वप्रमुख यहाँ का क़िला है। यह 1156 ई. में स्थापित हुआ था। यह भारत का एक सुंदर नमूना है। इसमें बारह सौ घर हैं।
By: MGB Desk
| 12 Nov, 2022 3:02 pm

खास बातें
  • इस किले को “सोनार किला” या फिर "स्वर्ण किला" कहा जाता है।
  • जैसलमेर के सभी प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक माना जाता है।
  • 1541 इस्वी में जब मुग़ल शासक हुमायु ने जैसलमेर के किले पर हमला।

भारत के राजस्थान राज्य के जैसलमेर में स्थित एक किला है, जो विश्व के सबसे बड़े किलो में से एक मानना जाता है। जैसलमेर किला पीले बालुआ पत्थर से बनाया गया है और यह सूर्यास्त के समय सोने की तरह चमकता है। इसलिए इस किले को “सोनार किला” या फिर "स्वर्ण किला" भी कहा जाता है। इस किले में बहुत ही सुंदर महल, मंदिर ओर सैनिको व् व्यापारियों के आवासीय परिसर बने हुए है। जोकि अन्य किलो से अलग दिखता है, यह किला जैसलमेर के सभी प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक माना जाता है।

आइए जानते है जैसलमेर किले का इतिहास क्या है?
राजस्थान के जैसलमेर किले की स्थापना साल 1156 इस्वी में किया गया था, यहाँ के राजपूतो के सरदार राजा रावल जैसल द्वारा की गई। राजा रावल जैसल के वंशजों ने यहाँ पर, भारत के गणतंत्र में परिवर्तन होने तक बिना वंश क्रम को भंग किए हुए 770 वर्ष तक शासन किया, जो अपने आप में एक महत्त्वपूर्ण बात है। जब भारत में अंग्रेज़ी शासक की स्थापना से लेकर आज़ादी तक भी इस राज्य ने अपने वंश का गौरव एवं महत्त्व को ज्यों का त्यों बरक़रार रखा। भारत की स्वतंत्रता के समय यह भारतीय गणतंत्र में विलीन हो गया। 

 जैसलमेर में साल 1276 में एक आश्चर्यजनक घटना घटी। जिसमें राजा जैसल रावल के द्वारा किए गए इस आक्रमण में जैसल की तरफ से 3700 सैनिको मिलकर 56 किले की किलेबंदी कर दी इसी आक्रमण के कारण सुल्तान बहुत ज्यादा गुस्से में हो गया और सुल्तान ने 8 वर्ष तकआक्रमण किया। उसके बाद भी सैनिको के साथ मिलकर जेसलमेर के किले को नष्ट कर दिया।

उसके बाद उस किले के दूसरे और बीच की परतो की चारो और एक जैसी आकृति में बनवा दिया। क्योंकि एक बार राजपूत आक्रमण के समय राजपूतो ने इन्ही दीवारों के ऊपर से दुश्मनो पर गरम तेल और गरम पानी गिराया था और इन्होनें दुश्मनो को चारो तरफ से भी घेर लिया था। इस किले की सुरक्षा करने के लिए 99 दुर्ग का निर्माण करवाया गया था। जिनमें से 92 दुर्ग 1633 इस्वी और 1647 इस्वी के मध्यम बनाई गई थी। उसके के बाद अलाद्दीन खिलजी ने इस किले पर 13वीं शताब्दी में आक्रमण किया और इसे अपने अधिकार में ले लिया। 9 साल बाद अलाउद्दीन खिलजी ने इस किले पर अपना नियंत्रण को बरक़रार रखा था। जब इस किले की घेराबंदी किया जा रही था। तब राजपूतों की पत्नियो ने खुद को जोहर कर लिया।

साल 1541 इस्वी में जब मुग़ल शासक हुमायु ने जैसलमेर के किले पर हमला किया तब हुमायु और खिलजी के बीच युद्ध हुआ था। यह युद्ध लम्बे समय तक चला। उसके बाद किले पर साल 1762 तक मुग़ल साम्राज्य का शासक चला था।

इन सभी घटनाओं के बाद मध्ययुगीन काल में यहाँ पर पारसी, अरब, मिश्र और अफ्रीका के साथ मिलकर अपनी एक मुख्य भूमिका निभाई थी। इन्हों ने किले की दीवार को इतनी भव्य व सुंदर तरीके से निर्मित करवाया कि जैसलमेर किले की दीवारें लगभग तीन मंजिला इमारत जीतनी ऊंची थी। किले का निर्माण करते समय इसकी बाहरी और निचली परत को इतने मजबूत पत्थरों से बनवाया गया था कि इसे तोड़ना किसी के भी बस की बात न थी।

मुग़ल शासक के बाद जेसलमेर किले में महारावल मूलराज का नियंत्रण था क्योंकि यह किला बहुत ही दूर एकांत में स्थित है। महारावल और अंग्रेजो के बीच 12 दिसंबर 1818 में हुए,समझोते के कारण वहां के राजा को उत्तराधिकारी बना गया और किसी भी हमले के समय अंग्रेजी शासक उन्हें सुरक्षा प्रदान करेगी। साल 1820 इस्वी में मूलराज की मृत्यु के बाद उनके पोते गज सिंह को जैसलमेर के किले का राजा घोषित किया गया था। 

प्रमुख ऐतिहासिक स्मारक जैन मंदिर, जैसलमेर क़िला,
राजस्थान के जैसलमेर के प्रमुख ऐतिहासिक स्मारकों में सर्वप्रमुख यहाँ का क़िला है। यह 1156 ई. में स्थापित हुआ था। यह भारत का एक सुंदर नमूना है। इसमें बारह सौ घर हैं।
15वीं शताब्दी में निर्मित जैन मंदिरों के तोरणों, स्तंभों, प्रवेश द्वार आदि पर जो बारीक नक़्क़ाशी व शिल्प को  देखकर दाँतों तले अँगुली दबानी पड़ती है। ऐसा कहा जाता है कि जावा, बाली आदि प्राचीन हिन्दू और बौद्ध उपनिवेशों के स्मारकों में जो भारतीय वास्तुकर व मूर्तिकला प्रदर्शित है, उससे जैसलमेर के जैन मंदिरों की कला का एक अनोखी कलाकृति है।
क़िले में लक्ष्मीनाथ जी का मंदिर अपने-आप में भव्य व सौंदर्य के लिए प्रख्यात है।

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