भारत के दो beaches को ब्लू टैग मिला है। बुधवार को इस बात की जानकारी केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने दी। यादव ने कहा कि भारत के दो और समुद्री तटों को दुनिया के सबसे स्वच्छ समुद्र तटों की लिस्ट में शामिल किया गया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा "गर्व का क्षण! दो और भारतीय समुद्र तटों ने ‘ब्लू बीच’ की सूची में जगह बनाई है। मिनिकॉय, थुंडी beach और कदमत beach इस श्रेणी में शामिल किए गए हैं। दोनों लक्षद्वीप में ही हैं।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्विटर पर लक्षद्वीप वासियों को बधाई दी और अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। पीएम मोदी ने ट्वीट किया " यह बेहद शानदार उपलब्धि है। इस उपलब्धि के लिए विशेष तौर से लक्षद्वीप के लोगों को बधाई। भारत की तटरेखा उल्लेखनीय है और तटीय स्वच्छता को आगे बढ़ाने के लिए हमारे लोगों में बहुत जुनून भी है। ''
अब भारत में ब्लू टैग वाले beaches की संख्या बढ़कर 12 हो गयी है। इस साल ही तमिलनाडु के केवलन और पुदुचेर की ईडन beach को भी ब्लू बीच की श्रेणी में रखा गया था। Foundation for Environment Education, डेनमार्क द्वारा भारत के कई अन्य तटों को इस श्रेणी में शामिल किया है। उनमें गुजरात का शिवराजपुर, दीव का घोगला, कर्नाटक का पदुबिद्री और कासरकोड़, आंध्र प्रदेश का रुशिकोंडा और केरल का कप्पड़ बीच शामिल है।
क्या होता है Blue Flag या Blue Tag ?
ब्लू टैग या ब्लू फ्लैग एक तरह का विश्व स्तर की मान्यता है। यह 33 मानदंडों के हिसाब से दिया जाता है जिसमें पर्यावरण प्रबंधन, शिक्षा और सूचना, पानी की क्वालिटी, समुद्री तटों की सुरक्षा और सफाई आदि जैसे कई मानदंडों शामिल है। वर्तमान में लगभग पचास देश इस कार्यक्रम में भाग लेते हैं, और 4,000 से अधिक समुद्र तटों, marinas और नौकाओं को यह प्रमाणन प्राप्त है। दुनिया में ब्लू फ्लैग टैग की सबसे ज्यादा साइट्स स्पेन में है।
जाहिर सी बात है कि ब्लू बीच का टैग टूरिज्म को बढ़ावा देने में भी फायदेमंद होता है। भारत सरकार ने भी 2018 में समुद्र तटों को साफ करने का अभियान शुरू किया है।
कब हुई थी Blue Flag की शुरुआत ?
'ब्लू फ्लैग' कार्यक्रम की शुरुआत फ्रांस में 1985 में हुई थी। 1987 में इसे पूरे यूरोप में स्वीकृति मिली, हालांकि, 2001 में दक्षिण अफ्रीका के इस कार्यक्रम में शामिल होने के बाद, यूरोपीय ब्लू फ्लैग अंतर्राष्ट्रीय ब्लू फ्लैग बन गया। ये मीठे पानी और समुद्री क्षेत्रों में सतत विकास को चार मुख्य मानदंडों के माध्यम से बढ़ावा देता है। ये चार मानदंड है: समुद्र तटों में स्नान के पानी की गुणवत्ता, पर्यावरण शिक्षा और सूचना, पर्यावरण प्रबंधन, संरक्षण और सुरक्षा सेवाएं।