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यूएनजीए ( संयुक्त राष्ट्र महासभा) के 78वें सत्र को संबोधित किया।

नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन की सफल मेजबानी के कुछ दिनों बाद ही, 26 सितम्बर, यानि मंगलवार को केंद्रीय विदेश मंत्री ने न्यूयॉर्क में यूएनजीए ( संयुक्त राष्ट्र महासभा) के 78वें सत्र को संबोधित किया।
By: Tulsi Tiwari
| 27 Sep, 2023 6:19 pm

खास बातें
  • केंद्रीय विदेश मंत्री ने न्यूयॉर्क में यूएनजीए ( संयुक्त राष्ट्र महासभा) के 78वें सत्र को संबोधित किया
  • जहाँ उन्होंने अपनी 17 मिनट की स्पीच, हाथ जोड़ते हुए "भारत से नमस्ते " कहकर आगमन किया
  • कहा, "यह परंपरा और टेक्नोलॉजी का मिश्रण है जो वर्तमान में भारत को परिभाषित करता है, जो भारत है।"

नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन की सफल मेजबानी के कुछ दिनों बाद ही, 26 सितम्बर, यानि मंगलवार को केंद्रीय विदेश मंत्री ने न्यूयॉर्क में यूएनजीए ( संयुक्त राष्ट्र महासभा) के 78वें सत्र को संबोधित किया। जहाँ उन्होंने अपनी 17 मिनट की स्पीच, हाथ जोड़ते हुए "भारत से नमस्ते " कहकर आगमन किया, "यह परंपरा और टेक्नोलॉजी का मिश्रण है जो वर्तमान में भारत को परिभाषित करता है, जो भारत है।" कहते हुए अपने भाषण की समाप्ति की। 

इसी महीने, इंडिया नाम से "भारत" करने को लेकर, सियासी पार्टियों में ज़ुबानी जंग छिड़ गयी थी और अब,एस जयशंकर की स्पीच के बाद कुछ तो हलचल होगी ही। विपक्षी गठबंधनों का कहना है की सरकार का इंडिया नाम हटाकर भारत कर देना उनका डर साफ़ दिखता है। बीजेपी सरकार ने ऐसा कदम इसीलिए उठाया क्यूंकि उन्हें विपक्षी पार्टियों के I.N.D.I.A गठबंधन से डर था, ऐसा विपक्ष का मानना है।  

वहीँ, दुनिया भर के कई लोग मोदी की सरहाना कर रहे थे की उनकी सरकार ने ये अद्भुत परिवर्तन किया, जो हमारी संस्कृति को दर्शाता है। यूनियन मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान ने जी20 सम्मेलन के रात्रिभोज आमंत्रणपत्र की तस्वीर एक्स पर साझा करते हुए राष्ट्र गान की चंद्र लाइन भी लिखी थी। आमंत्रणपत्र में "इंडिया के राष्ट्रपति" की जगह "भारत के राष्ट्रपति" उल्लेखित था। 

इतना ही नहीं, बल्कि जी20 में भी हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने हमारे देश की पहचान भारत के रूप में ही सबको कराई। उनके सामने टेबल में रखी नेमप्लेट में भारत नाम लिखा हुए था जो हमारे लिए गर्व का छण था। अंतर्राष्ट्रीय मामलों के मंत्री एस जयशंकर की स्पीच के बाद ये साफ़ हो चूका है की भारत को भारत नाम मिल चुका है, उन्होंने ये कहते हुए अंत किया की,'हम परंपरा और तकनिकी सफलता दोनों को समान रूप से आत्मविश्वास के साथ मैच कर लेते हैं। यह मिश्रण है जो आज भारत को परिभाषित करता है, जो की भारत है।'

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